१३५ ॥ श्री लाला हरिहर बक्स जी ॥
पद:-
जिसने भजा तन मन लगा कर नाम राधेश्याम का।१।
मुरशिद क सच्चा शिष्य वह फल पा गया नर चाम का।२।
परकाश लय धुनि ध्यान सन्मुख रूप सब गुण ग्राम का।३।
तन त्यागि पहुँचा अचल पुर जग से रहा फिर काम क्या।४।
पद:-
जिसने भजा तन मन लगा कर नाम राधेश्याम का।१।
मुरशिद क सच्चा शिष्य वह फल पा गया नर चाम का।२।
परकाश लय धुनि ध्यान सन्मुख रूप सब गुण ग्राम का।३।
तन त्यागि पहुँचा अचल पुर जग से रहा फिर काम क्या।४।