१५५ ॥ श्री लाला शंकर बख्श जी ॥
शेर:-
बातों कि जमा खर्च से कुछ काम नहीं हो।
तन मन व प्रेम तीनों मिलैं भजन सही हो।१।
यम पुर है मृत्यु लोक से छियासी सहस्त्र योजन।
अति दुख की खानि जीवों को मल मूत्र मिलै भोजन।२।
कलि मल के लड्डू जेवने ते पकड़ि सब जाते वहाँ।
लोटैं उठैं उछरैं गिरैं पल भर न कल पाते वहाँ।३।
पद:-
जल भौंरा जल पर फिरैं, ठीक ठौर कोइ नाहिं।
वैसै हरि के भजन बिन, नारि पुरुष चकराहिं।१।
जे जग कीचड़ में फंसे, उन्हैं जानिये रुण्ड।
हानि लाभ समुझै नहीं, झूठै धड़ पर मुण्ड।२।