१६३ ॥ श्री लाला सुर्जन लाल जी ॥
पद:-
प्रेम सरिता में परि ज्ञान बहि जात मानो सतगुरु करि
हम जानि नाम लीन है।१।
श्यामा श्याम झांकी बांकी समुहे रहत टांकी ध्यान धुनि लय प्रकाश
तूरयौ गुण तीनि है।२।
महा सुख कौन गावै भक्त कोई जानि पावै जियत में
जिन निज ठीक ठौर कीन है।३।
कहत हैं सुर्जन लाल बैन सुनि करै ख्याल सोई बनि जाय लाल
भयो जौन दीन है।४।