१६६ ॥ श्री लाल माधव प्रसाद जी ॥
शेर:-
पिता माता क रज वीर्य्य विरथा किया औ जवानी गई
लड़िके कूकुर हुये।१।
नाम हरि का न जाना करै पाप नित कहते हम तो
जगत पूज्य भूसुर हुये।२।
देखने में सुघर पै भरा है जहर खांड घृत पय
औ आँटे के जैसे पुये।३।
पहिले ही से बिके यम के हाथों में वै कहते माधौ
तजै तन तो दोज़ख चुये।४।