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१८३ ॥ श्री चुनिया माई जी ॥


पद:-

गुरु से पढ़ौ गुरु से पढ़ौ गुरु से पढ़ौ गुरु से पढ़ौ।

जर से चढ़ौ जर से चढ़ौ जर से चढ़ौ जर से चढ़ौ।

तन मन गढ़ौ तन मन गढ़ौ तन मन गढ़ौ तन मन गढ़ौ।

सब सुख लढ़ौ सब सुख लढ़ौ सब सुख लढ़ौ सब सुख लढ़ौ।

आगे बढ़ौ आगे बढ़ौ आगे बढ़ौ आगे बढ़ौ।

जग से कढ़ौ जग से कढ़ौ जग से कढ़ौ जग से कढ़ौ ।