१८९ ॥ श्री कूवा जी का कीर्तन ॥
पद:-
सिय राम कहौ दुख सुक्ख सहौ नित दर्श लहौ गुरु बानि गहौ।
रमा विष्णु कहौ श्यामा श्याम कहौ उमा शम्भु कहौ गुरु बानि गहौ।
गोविन्द कहौ गोपाल कहौ जगदीश कहौ गुरु बानि गहौ।
रघुनाथ कहौ यदुनाथ कहौ दीनानाथ कहौ गुरु बानि गहौ।
करुणा सिन्धु कहौ दया सिन्धु कहौ प्रणत पाल कहौ गुरु बानि गहौ।
सर्वाधार कहौ सब से न्यार कहौ सुख सार कहौ गुरु बानि गहौ।६।