१९८ ॥ श्री मीरा जी का कीर्तन ॥
पद:-
हरे घनश्याम हरे श्रीराम हरे सुख धाम हो प्राण मेरे।
हरे गोपाल हरे नंद लाल हरे किरपाल हो प्राण मेरे।
हरे यदुनाथ हरे दीना नाथ हरे जय नाथ हो प्राण मेरे।
हरे वृज बिहारी हरे बनवारी हरे गिरिधारी हो प्राण मेरे।
हरे करुणासिन्धु हरे कृपा सिन्धु हरे दीन बन्धु हो प्राण मेरे।५।
हरे गोविन्द हरे जगदीश हरे श्री ईश हो प्राण मेरे।
हरे दधि चोर हरे मन चोर हरे सब ठौर हो प्राण मेरे।
हरे श्री कृष्ण हरे जय कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण हो प्राण मेरे।
हरे वंशी वारे हरे सब के प्यारे हरे सब से न्यारे हो प्राण मेरे।
हरे जगदाधार हरे ज्ञानागार हरे सुख सार हो प्राण मेरे।१०।
हरे कृष्ण चन्द हरे आनन्द कन्द हरे वृज चन्द हो प्राण मेरे।
हरे वसुदेव लाल हरे देवकी लाल हरे यशुदा लाल हो प्राण मेरे।
श्याम श्याम हरे हरे कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
जय श्री गोपाल की, जय मनोहर लाल की।
जय बनवारी लाल की, जय गिरिधारी लाल की।१५।
जय बिहारी लाल की, जय कन्हैया लाल की।
जय मदन गोपाल की, जय मनोहर लाल की।
जय जशोमति लाल की, जय देवकी लाल की।
जय त्रिभुवन भुवाल की, जय बोलो नन्दलाल की।
जय हो श्री कृष्ण की, जय हो श्री श्याम की।२०।
जय बोलो श्री कृष्ण की, जय बोलो घनश्याम की।
जय बोलो सरकार की, जय बोलो करतार की।२२।