२११ ॥ श्री डुण्डी माई जी ॥
पद:-
श्री यमुना श्री यमुना श्री यमुना क निर्मल जल।
नहावै गर नहावै गर नहावै गर तो छूटै मल।
प्रेम तन मन प्रेम तन मन प्रेम तन मन में जावै ढल।
पियै जल को पियै जल को पियै जल को तो होवै बल।
डरैं यम गण डरैं यम गण डरैं यम गण न हो दुख पल।५।
सबी लीला सबी लीला सबी लीला करै करतल।
भजो हरदम भजो हरदम भजो हरदम तजौ सब छल।
कहैं डुण्डी कहैं डुण्डी कहैं डुण्डी मिलै निज थल।८।