२३७ ॥ श्री मखाना माई अहिरिन जी ॥
पद:-
हरि सुमिरन बिन सुख नहिं पैहो।१।
अब हीं तो कछु ख्याल करत नाहिं आखिर में फिर पछितैहो।२।
यहां कमाय के बांधौ गठरी तब वहँ पर सुख से खैहो।३।
कहैं मखाना सतगुरु के बिन कैसे भला वहाँ जैहो।४।
पद:-
हरि सुमिरन बिन सुख नहिं पैहो।१।
अब हीं तो कछु ख्याल करत नाहिं आखिर में फिर पछितैहो।२।
यहां कमाय के बांधौ गठरी तब वहँ पर सुख से खैहो।३।
कहैं मखाना सतगुरु के बिन कैसे भला वहाँ जैहो।४।