२३८ ॥ श्री जुड़ाना माई मुराइनि जी ॥
पद:-
तन मन प्रेम से हरि गुन गावो।
देखौ श्याम संग संग डोलै जियत नैन फल पावौ।
दुर्लभ तन को पाय हाय क्यों विषयन साथ गंवावो।
सतगुरु करौ भेद सब जानौ असुरन फ़ौज भगावो।
लय धुनि ध्यान प्रकाश मिलै जब निज घर बैठक पावो।
कहैं जुड़ाना अजर अमर ह्वै फेरि न जग में आवो।६।