२४० ॥ श्री इँदारा माई वारिन जी ॥
पद:-
मन कूकुर भागत तजि मढ़िया।
सकल पदारथ पास धरे हैं मति वाकी गइ कोढ़िया।
सतगुरु मिलै मार्ग तब जानै ह्वै जावै फिरि बढ़िया।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि पाय भरै तन लढ़िया।
सन्मुख राम श्याम नारायण लखै सिंहासन चढ़िया।५।
सुर मुनि आय देंय नित दर्शन पग धोवै लै अढ़िया।
कहैं इंदरा तन मन प्रेम से यह पद गुनि जो पढ़िया।
वाके हिये कपार कि उधरैं मिलै नाम की लोढ़िया।८।