२३९ ॥ श्री सुंदारा माई भंगिन जी ॥
पद:-
सतगुरु करो मन को गहो यह तो बड़ा बेशर्म है।
दीनता औ शान्ति से चुपकारिये तो नर्म है।
धमकी अगर तुम देवगे तो फिर न मानै गर्म है।
इसके बिना काबू भये होता नहीं कोई धर्म्म है।
क्रोध करना साधकों के दिल प करता वर्म्म है।
कहती सुँदारा चेतिये दिन चारि का यह चर्म है।६।