२५८ ॥ श्री परेवा माई खटकिन जी ॥
पद:-
चाखौ भाँति भाँति की मेवा।
सतगुरु करि सुमिरन विधि जानो तब पावो कछु भेवा।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि दर्शैं बहु मुनि देवा।
रमा विष्णु सिय राम श्याम प्रिय हर दम सन्मुख लेवा।
अनहद सुनो पिओ नित अमृत मेटौं कर्म की छेवा।५।
सूरति शब्द क मारग बहिनो सत्य सत्य भव खेवा।
युग युग जियो मरौ नहिं जन्मौ करती विनय परेवा।
जो न गुनौ तो भुनौ नर्क में छोड़ि के कुल की टेवा।८।