२५७ ॥ श्री नारायण दास जी ॥
चौपाई:-
ठाकुर मन्दिर दिया लगावा। अन्त समय हरि पुर हम पावा।१।
कहैं नारायण दास पुकारी। यह सेवा फल लीन्ह निहारी।२।
चौपाई:-
ठाकुर मन्दिर दिया लगावा। अन्त समय हरि पुर हम पावा।१।
कहैं नारायण दास पुकारी। यह सेवा फल लीन्ह निहारी।२।