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२७८ ॥ श्री केशरा वेलदार जी ॥


शेर:-

आबे हयात वहदत कौसर अमी वही हैं।

पीयूष और अमृत कहते सुधा कहीं हैं।१।

धुनि ध्यान नूर लय बिन अमरत्व कुछ नहीं है ।

सन्मुख में रूप छाया सुर मुनि क सँग सही है।२।

मुरशिद बिना यह कूचा मिलना बड़ा है मुश्किल।

मन चोर तन में हरदम रहते मचाये किल किल।३।