२९३ ॥ श्री विरहिमा जी ॥
पद:-
सुर मुनि वेद शास्त्र सब गावत राम नाम की महिमा।१।
मानुष का तन पाय भजो नित करता विनय विरहिमा।२।
ध्यान धुनी परकाश दशा लय करि सतगुरु लखु केहिमा।३।
सन्मुख राम सिया रहैं हर दम रेफ़ बिन्दु गहु तेहिमा।४।
पद:-
सुर मुनि वेद शास्त्र सब गावत राम नाम की महिमा।१।
मानुष का तन पाय भजो नित करता विनय विरहिमा।२।
ध्यान धुनी परकाश दशा लय करि सतगुरु लखु केहिमा।३।
सन्मुख राम सिया रहैं हर दम रेफ़ बिन्दु गहु तेहिमा।४।