३२२ ॥ श्री रफ़ा जान जी ॥
पद:-
बन ठन के अभी घूमती हो यार बनाये।
जब अन्त समय होगा यम पकड़ि दबाये।
मल मूत्र की जगह से मल मूत्र गिराये।
देखैंगे खड़े यार मुख से बोल न आये।
परिवार नातेदार खड़े रोवैं मुँह बाये।५।
चारा नहीं चलै तुम्हैं किस तरह बचाये।
ले कर के दूत फिर तुम्हैं दोज़ख में रुलाये।
सुमिरा न नाम रव का पटकैं औ सुनाये।
टांगैं पकड़ि घुमाय शिर को नीचे गड़ाये।
इन्द्री में लोह सींक लाली करके चलाये।१०।
जलती हुई वह सींक मुख में जाय दिखाये।
साधे हैं हाथ पैर वहां कौन छुड़ाये।
गर मानो सखुन मेरा सब काम बनि जाये।
मुरशिद करो आनन्द हो सब पाप नशाये।
धुनि ध्यान नूर लय हो नित रूप दिखाये।
कहती है रफ़ा जान तुम्हैं सत्य बताये।१६।