३५१ ॥ श्री अवसान बंजारा जी ॥
पद:-
मुरशिद करो मारग गहो निज घर क कार देखो।
धुनि ध्यान नूर लय मिले दिलदार यार देखो।
अनहद सुनो मधुर धुनि सुर मुनि क प्यार देखो।
तन मन से प्रेम करिके प्रभु का दरबार देखो।
सब शान्ति रूप बैठे साजे सिंगार देखो।
बरनै क्या शेष शारद अद्भुत बहार देखो।६।