३६२ ॥ श्री सुख पाल सिंह जी ॥
पद:-
यह तन अनमोल मिला नर का हरि नाम में खूब लगा लेना।
सतगुरु करि सूरति शब्द पै धरि धुनि ध्यान प्रकाश औ लय लेना।
सन्मुख में झांकी क्या बांकी प्रिय श्याम कि यारों करि लेना।
सुर मुनि आबें बैठें बोलें हरि यश गावें सो सुनि लेना।
गहि शान्ति दीनता सत्य मता कटु मीठी बातें सह लेना।
तन त्यागि मगन ह्वै यान में चढ़ि सुखपाल कहैं निज घर लेना।६।