३७७ ॥ श्री नवी जान रण्डी जी ॥
पद:-
सतगुरु करैं ते नारि नर सुख पांय सभी दिन।
परकास ध्यान लय धुनी भन्नाय सभी दिन।
अनहद सुनै कौसर पियै हर्षाय सभी दिन।
सुर मुनि मिलैं विहँसि के गले लाय सभी दिन।
नागिन जगै षट चक्र भी घुमराय सभी दिन।५।
सातों कमल खिलैं तरंग आय सभी दिन।
तांडव क नृत्य शिव जी दिखलांय सभी दिन।
बजरंग संग में गदा फिरांय सभी दिन।
तन त्यागि राम धाम ले बनि जाय सभी दिन।९।