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३७६ ॥ श्री मौला जान रण्डी जी ॥


पद:-

सतगुरु करैं ते नारि नर सुख पांय दिनों दिन।

लय ध्यान नूर औ धुनी खुलि जाय दिनों दिन।

अमृत चखै अनहद भी घट चटकाय दिनों दिन।

सुर मुनि से होंय बातैं मुसक्याय दिनों दिन।

नागिन जगैं सब चक्कर भन्नाय दिनों दिन।५।

फूलैं कमल अजब सुगन्ध आय दिनों दिन।

भैरों जी मधुर भोजन करवांय दिनों दिन।

झारी में वीरभद्र जी जल लांय दिनों दिन।

सन्मुख में विष्णु कमला छवि छाय दिनों दिन।

तन त्यागि पास वास ले न आय दिनों दिन।१०।