३८६ ॥ श्री भाग्यवती माई जी ॥
पद:-
लेटे बैठे खड़े चलते सुनो।
सतगुरु करि सुमिरन विधि जानौ तन मन प्रेम लगाय शब्द धुनौ।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि होय जियत दोऊ कर्म भुनो।
सुर मुनि मिलैं सुनावैं हरि यश मन मानै नित राग चुनौ।
सन्मुख श्यामा श्याम की झांकी कीन चहौ मम बैन गुनौ।
अन्त त्यागि तन निजपुर बैठौ जग में काहे फिरि घुनौ।६।