३८५ ॥ श्री ठाकुर यतन सिंह जी कलहंस ॥
पद:-
सतगुरु से जप की लीजै जतन। हर दम तब रहियो यार मगन।२।
धुनि ध्यान परकाश समाधि में सन। सुर मुनि सब दर्शैं सुघर वदन।४।
सन्मुख छवि गौर औ नील बरन। सिया राम विराजैं आनन्द घन।६।
जियतै मिट जावै जग की लगन। तन तजि निज पुर लो कहत जतन।८।