३९० ॥ श्री कटार बाज नट जी ॥
पद:-
मन मन्दिर में नाम पधारो।
सांगो पांग जानि सतगुरु से जियतै भव दुख टारो।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि सुनो होत रंकारो।
सुर मुनि मिलैं बजै घट अनहद पियो अमी मतवारो।
स्वाद बताय सकौ का भाई नहिं खट्टा नहिं खारो।५।
श्यामा श्याम सामने राजैं जिन सब जगत संवारो।
निर्भय औ निर्वैर जाव ह्वै शान्ति दीनता धारो।
अन्त त्यागि तन निजपुर बैठो गर्भ में पगि मति डारो।८।