३९१ ॥ श्री सिपाही बाज नट जी ॥
पद:-
राखो राम नाम पर ख्याल।
सतगुरु करि जप भेद जान लो जियत बनो मतवाल।
ध्यान धुनी परकाश दसा लय सुनिये अनहद ताल।
अमृत पियो देव मुनि आवैं प्रेम करैं जिमि बाल।
हर दम सन्मुख में छवि छावैं श्री राधे नन्दलाल।
अन्त त्यागि तन निज पुर बैठो काह करैं यम काल॥६।