३९२ ॥ श्री कबूतर बाज नट जी ॥
पद:-
कीजै राम नाम का ध्यान।
सतगुरु करि सुमिरन विधि जानो खुल जांय आंखी कान।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि रोम रोम हो आन।
अनहद सुनो देव मुनि दर्शैं करौ अमी रस पान।
सीता राम सामने राजैं जो सब जीवन जान।
अन्त त्यागि तन निज पुर चलिये बैठि के सुभग विमान।६।