३९४ ॥ श्री तलवार बाज नट जी ॥
पद:-
धरिये सूरति शब्द पै भाई।
सतगुरु करि सुमिरन विधि जानो तन मन प्रेम लगाई।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि रग रोवन खुल जाई।
अनहद सुनो देव मुनि दर्शैं पियो अमी हर्षाई।
नागिन जगै लोक सब देखो षट चक्कर घुमराई।५।
सातौं कमल खिलैं क्या सुन्दर स्वरन से महक उड़ाई।
राम सिया हर दम रहें सन्मुख विश्व के जे पितु माई।
अन्त त्यागि तन निजपुर राजौ छूटै गर्भ झुलाई।८।