३९५ ॥ श्री घुंघरू बाज नट जी ॥
पद:-
सूरति रेफ बिन्दु पै दीजै।
सतगुरु करि सुमिरन विधि जानो वृथा न आयु द्दीजै।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि अनहद घट सुन लीजै।
अमृत पियो देव मुनि दर्शैं बात सबन संघ कीजै।
सीता राम सामने राजैं कौन तुम्हैं फिर मीजै।
अंत त्यागि तन चढ़ि सिंहासन निज पुर को चल दीजै।६।