३९६ ॥ श्री पहलवान बाज नट जी ॥
पद:-
जपिये सोहं का आधार।
सतगुरु करि सुमिरन विधि जानो जियत होहु भवपार।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि रं रं हो एक तार।
सुर मुनि मिलैं सुनो घट अनहद अमी पियो निशवार।
सीता राम सामने राजैं साजे अजब श्रंगार।
अंत त्यागि तन निजपुर बैठो पड़ो न गर्भ मंझार।६।