३९९ ॥ श्री कैबर बाज नट जी ॥
पद:-
अजपा रेफ बिन्दु सुखदाई।
सतगुरु करि सुमिरन विधि जानो तव मुद मंगल आई।
ध्यान धुनी परकाश दसा लय सुध बुध जहां हेराई।
अमृत पिओ सुनो घट अनहद सुर मुनि लें उर लाई।
रेफ़ पिता हैं राम विष्णु के बिन्दु जानकी माई।५।
हर दम सन्मुख में छवि छावैं शोभा बरनि न जाई।
अचल अखंड औ सहज समाधी यही कहावै भाई।
नाम की धुनि हर शै से होती सब में रूप देखाई।
राज योग या को सब कहते सूरति शब्द में लाई।
अंत छोड़ि तन राम धाम चलि बैठ जाव चुपकाई।१०।