४११ ॥ श्री रामचन्द्र खां जी ॥
(शिष्य श्री गौरांग जी)
पद:-
सदगुरु करो हरि नाम लो दर्शैं कन्हैया राधिका।
धुनि ध्यान लय परकाश हो दुख भगै सकल उपाधि का।
सुर मुनि मिलैं अनहद सुनो अमृत पियो निज साधिका।
अन्त तन तजि चलो निज पुर जहां नाम न व्याधि का।४।
(शिष्य श्री गौरांग जी)
पद:-
सदगुरु करो हरि नाम लो दर्शैं कन्हैया राधिका।
धुनि ध्यान लय परकाश हो दुख भगै सकल उपाधि का।
सुर मुनि मिलैं अनहद सुनो अमृत पियो निज साधिका।
अन्त तन तजि चलो निज पुर जहां नाम न व्याधि का।४।