४१२ ॥ श्री हबीबा रण्डी जी ॥
(मिती अगहन वदी २ सम्वत १९९३ विक्रमी )
पद:-
सतरह वर्ष बाद भारत में भारी सुख सौ वर्ष को होय।
सम्वत २००० बीतत समय जाय वह खोय।
स्वामी रामानन्द गये कहि मानि लेव सब कोय।
मोहन दास कबीर की ज्योती दुख दरिद्र दे धोय।
राम नाम का प्रेमी पक्का सूरति दीन मिलोय।५।
ध्यान परकाश समाधि औ दर्शन अब ही उन्हें न होय।
जवन कार्य्य हित प्रभु ने भेजा तवन देंय जब पोय।
कहै हबीबा हरि की इच्छा कवन लगावै दोय।८।