४१४ ॥ श्री नजूमा जी रण्डी ॥
पद:-
सम्वत दो हजार जब बीतै जानो सुख भारत में होय।
स्वामी रामानन्द की वानी कहि सकै को धोय।
लाय गांधी नाम की आंधी देंय उपाधी खोय।
जनता सब समता से निर्मल होवै जैसे तोय।
जप पूजन कीरतन पाठ औ हवन बीज जाय बोय।
कहै नजूमा दुख तब आपै भागैं सारे रोय।६।