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४२६ ॥ श्री वाँड़े शाह जी ॥


पद:-

भक्त सच्चा है वही निज को सफ़ा निज रा़खता।

नाहीं तो जानो है गलत बातों का फकना फांकता।

पढ़ि सुनि के बातैं सीख कर औरों को देता दुःख है।

उसको कभी मिलता नहीं हरि नाम रूप क सुक्ख है।४।


शेर:-

भगवत सम्बन्धी बातों में करता है जौन तर्क।

बस उसके जानि लीजिये मादर पिदर में फर्क।

पापों से उसका तन मन एक दम भया है गर्क।

वांड़े कहैं तन छोड़ि चलैं लेंय वास नर्क।८।