४४९ ॥ श्री पडशाह जी ॥
शेर:-
सरवरि किसी की मति करौ। तुम से बने तो नित करौ।१।
मन से वचन से करम से। करि लीजिये इस चरम से।२।
हो जावो काविल जिस समय। शारीक करि लेंय उस समय।३।
मानो सखुन मति डोलना। दिन चारि का है चोलना।४।
शेर:-
सरवरि किसी की मति करौ। तुम से बने तो नित करौ।१।
मन से वचन से करम से। करि लीजिये इस चरम से।२।
हो जावो काविल जिस समय। शारीक करि लेंय उस समय।३।
मानो सखुन मति डोलना। दिन चारि का है चोलना।४।