४५६ ॥ श्री शकरार पीर जी ॥
पद:-
शकरार पीर के सखुन गर मान लीजिये।१।
मुरशिद को करिके नाम रब का जान लीजिये।२।
धुनि ध्यान नूर लय हो कौसर को पीजिये।३।
हर वक्त होंय दर्शन इस रंग में भीजिये।४।
पद:-
शकरार पीर के सखुन गर मान लीजिये।१।
मुरशिद को करिके नाम रब का जान लीजिये।२।
धुनि ध्यान नूर लय हो कौसर को पीजिये।३।
हर वक्त होंय दर्शन इस रंग में भीजिये।४।