४५९ ॥ श्री खबीस शाह जी ॥
पद:-
लीजै राम नाम का छूरा।
सतगुरु से सुमिरन विधि जानि कै करो कार्यनिज पूरा।
तन कै असुर पकड़ि कै मूड़ो जियत जाव बन सूरा।
ध्यान धुनी परकाश दसा लय सुनिये अनहद तूरा।
सुर मुनि मिलैं प्रेम करि बोलैं कहें मिटी भव धूरा।५।
शिव गिरिजा नित आय खिलावैं दही खांड़ औ चूरा।
सन्मुख राम सिया की झांकी लखौ सजी बन मूरा।
कहैं खबीस अन्त निज पुर लो छूटै तन मन कूरा।८।