४८१ ॥ श्री ठाकुर लखन सिंह सेंगर जी ॥
पद:-
जे जन करैं अवध में वास।
जाप विधि सतगुरु से जानै असुर लें सब फांस।
ध्यान धुनि परकाश लय हो मिटै भव की त्रास।
सिया राघो भरत लछिमन शत्रुहन जी पास।
लखैं हर दम छंटा छवि श्रृंगार अजब सुबास।५।
सुनैं अनहद मिलैं सुर मुनि होंय जियतै दास।
मान औ अपमान छूटै करै को तेहि नास।
अन्त तन तजि लेय आसन अचलपुर चलि खास।८।