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४८० ॥ श्री ठाकुर अभय सिंह जी भदवरिया ॥


पद:-

जे जन जाय काशी रहैं।

जाप विधि सतगुरु से जानि कै चोर तन के गहैं।

विमल सुर सरि करैं मज्जन जियति सुख सब लहैं।

अन्नपूरना काल भैरव प्रेम से नित चहैं।

शिवा शिव सन्मुख में सोहैं देव मुनि यश कहैं।५।

ध्यान धुनि परकाश लय हो मन न तन से बहैं।

साज अनहद सुनै हर दम दुख सुख सम लहैं।

अन्त तन तजि चलै निजपुर फिर न जग में ढहैं।८।