५०१ ॥ श्री डग मग शाह जी ॥
जारी........
जाप पाठ कीरतन बनैं नहि चोरन छीनौ दाम।
भेष की लाज न नेकौ आवत चिकनावत नित चाम।
तुमते तो ग्रहस्थ बहु नीके भजन करत वसु याम।५।
तन सुकुमार किह्यो अस भाई जस नरेश की वाम।
कैसे नाम सिद्ध हो गुनिये सह्यौ शीत नहि घाम।
इन्द्रिन दमन किहे बिन कोई पायो है निज ठाम।
मुरशिद करो होय मुद मंगल जौन संत का काम।
डग मग शाह कहैं अब चेतो काहे हो बदनाम।१०।
पद:-
पापी जग में जब आन बढ़ैं तब भारत माता शोच किया।१।
ये दुष्ट नहीं अब मानैंगे या से चट आप समाधि लिया।२।
अब थोड़े दिन में जागैंगी घर घर में जामे नाम बिया।३।
डग मग कहैं हम अब जाते हैं जो कहना था लिखवाय दिया।४।