५५५ ॥ श्री ख्याल शाह जी ॥ (२)
सतगुरु से जप विधि जान लो उस ख्याल में मतवाल हो।
लय ध्यान धुनि परकाश क्या अनहद की सुनिये ताल हो।
अमृत पिओ सुर मुनि मिलैं मेटो करम गति भाल हो।
हर दम लखौ सन्मुख में राधे सहित यशुदा लाल हो।
जियतै में करतल होय सब तब तो तुम माला माल हो।५।
तन छोड़ि के साकेत बैठो छोड़ि जग जंजाल हो।
मानो बिनय मेरी नहीं तो फिर वृथा नर खाल हो।
आने जाने का लगा चक्कर रहे दुख जाल हो।८।