५५५ ॥ श्री ख्याल शाह जी ॥
(माघ सुदी पंचमी दिन सोमवार सम्वत १९९३ बिक्रमी )
पद:-
सतगुरु से मारग जानकर दो बीज शब्द पै ख्याल हो।
धुनि ध्यान लय परकाश क्या अनहद की मधुरी ताल हो।
सुर मुनि मिलैं अमृत पिओ मेटो लिखा विधि भाल हो।
सन्मुख लखौ जनकात्मजा संग सोहैं दशरथ लाल हो।
निर्वैर निर्भय एक रस जियतै में माला माल हो।५।
तन त्यागि चल साकेत लो छूटै गर्भ जंजाल हो।
मानै बचन मेरा नहीं उनका बुरा फिर हाल हो।
चोर सारे मृत्यु माया देंय दुख यम काल हो।८।