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५७० ॥ श्री अगने शाह जी ॥ (२)

नाम सिंह औ माया लोखरी, का करि सकै तुम्हारा ससुरी।

नाम गयंद औ माया छगरी, का करि सकै तुम्हारा ससुरी।

नाम मगर औ माया मछरी, का करि सकै तुम्हारा ससुरी।

नाम भुजंग औ माया मुसरी, का करि सकै तुम्हारा ससुरी।

नाम समुन्दर औ माया गगरी, का करि सकै तुम्हारा ससुरी।५।

 

नाम बाज औ माया कंड़री, का करि सकै तुम्हारा ससुरी।

नाम महल औ माया बखरी, का करि सकै तुम्हारा ससुरी।

नाम बरेत औ माया रसरी, का करि सकै तुम्हारा ससुरी।

नाम पवित्र औ माया सखरी, का करि सकै तुम्हारा ससुरी।९।

नाम राशि औ माया गठरी, का करि सकै तुम्हारा ससुरी।१०।

 

नाम तुरंग औ माया कुकरी, का करि सकै तुम्हारा ससुरी।

नाम कृपान औ माया लकरी, का करि सकै तुम्हारा ससुरी।

नाम तोप औ माया पटरी, का करि सकै तुम्हारा ससुरी।

नाम अग्नि औ माया लुकूरी, का करि सकै तुम्हारा ससुरी।

सतगुरु करि अब जावो सुधरी, का करि सकै तुम्हारा ससुरी।१५।