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५८७ ॥ श्री यदुनन्दन सिंह जी ॥


पद:-

बनिये श्यामा श्याम के चाकर।

सतगुरु करि सुमिरन बिधि जानौ फेरौ नाम की सांकर।

अजा असुर तन से सब भागैं करते नित जे खांकर।

ध्यान धुनी परकाश दसा लय पाय जीत भव कांकर।

सनमुख मातु पिता रहैं हर दम जियतै बनो उजागर।

अन्त छोड़ि तन निज पुर बैठो गर्भ न झूलौ आकर।६।