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५८८ ॥ श्री अधीन सिंह जी ॥


वार्तिक:-

अन्त समय यमदूत आकर प्राणी को बहुत दण्ड देते हैं और किरिया

तिलाक, चुनौती, कसम, सौगन्ध, सौहं, सपथ, कलाम, जिस देश में जिस भाषा में इन शब्दों को बोलते हैं, इन सब का अर्थ एक ही है। उसी प्रकार दूत कह कर अस्त्र दिखाते हैं, कि जो कोई तेरा मददगार हो आवै तुझे बचा ले परन्तु उस समय कौन मदद कर सकता है, न तो तुमने किसी देवता का आराधन किया, न संत सेवा किया, न तीर्थाटन किया, न गरीबो को भोजन वस्त्र दिया, न दुखियों पर दया किया जो प्राण बचावै अब चल कर नर्क में कल्पों भोगो। जो यहां पर कमाया है उसी क फल आगे आया है।


शेर:-

हरि नाम की अमानत जिसने जमा न कीन्हा।

उसकी भला जमानत कोई कहीं पै लीन्हा।