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६०२ ॥ श्री दिलदार खाँ जी ॥


शेर:-

कन्दुम वही होंगे जहां से जिन जपा हरि नाम को।१।

ध्यान धुनि परकाश लय पा लखि रहे प्रिय श्याम को।२।

सुर मुनि लिपटि मिलते उन्हैं कीन्हा सुफल नर चाम को।३।

सतगुरु की सेवा करि सुलभ है मार्ग यह नर बाम को।४।