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६२० ॥ श्री जय सिंह जी ॥


दोहा:-

छोटन को आदर करैं बड़ेन को है यह काम।

जासे सब कारज सरैं चलै युगै युग नाम।१।

महीपति और भूसुर जन और वर्नों को कम माना।

बड़ों को यह नहीं चाही करैं जो चाह मन माना।२।

राम औ कृष्ण लै अवतार कैसा ठान था ठाना।

अधम औ नीच अपनाया हुआ जय कार जग जाना।३।