६७२ ॥ श्री खुदा बख्श जी ॥ (१)
पद:-
इबादत लौ लगा करिये तो चट घनश्याम मिल जाँये।
करौ मुरशिद पता पाओ वही यह मार्ग बतलायें।
छटा श्रृंगार छबि अनुपम हर समय सामने छाँये।
अधर पर क्या हरी मुरली बाम दिशि राधे मुसक्याये।
ध्यान धुनि नूर लय होवै देव मुनि बिहँसि उर लायें।५।
सुनौ अनहद पियौ कौसर चोर तब फिर न धमकायें।
जगै नागिन नचैं चक्कर कमल सातौं भी गमकायें।
कहैं खुदा बख्श तन छूटै खलक में फिर न चकरायें।८।