६७२ ॥ श्री खुदा बख्श जी ॥ (२)
रोज़ी दे रज्ज़ाक उसी का शुक्र करौ हर दम सब जन।१।
मुरशिद से सब भेद जानि कुर्बान करौ अपना तन मन।२।
ध्यान प्रकाश समाधी हो जरि जाँय करम दोनों ततछन।३।
सुर मुनि भेटैं कौसर छाको अनहद घट सुनि सुनि होहु मगन।४।
सन्मुख में प्यारे का चेहरा जो सब का मानो जीवन धन।५।
कहैं खुदा बख्श अब मत चूकौ जियतै में जावे बिगरी बन।६।