६८१ ॥ श्री अच्छन मियां तेली जी ॥
(मुकाम हमीरपुर)
शेर:-
उसे ताबे हसर न लगेगी हवा
जिसने मुरशिद के कदमौं पै शिर को धरा।१।
ध्यान धुनि नूर लय रूप सन्मुख किया।
जान लो बस वही है जियत में तरा।२।
देव मुनि सब मिलैं साज अनहद सुनै
जाम कौसर पियै रोज घट में भरा।३।
कहता अच्छन रहे बे धड़क हर समय
जाय तन छोड़ि रव का है प्यारा खरा।४।
शेर:-
रव की तरफ़ जिसे जरा भी चाह नही है।
अच्छन कहैं तब तो उसे परवाह नहीं है।१।